18 September 2016

कैथल बार एसोसिएशन बनाम जिला प्रशासन

 कैथल बार एसोसिएशन बनाम जिला प्रशासन

"जब न्याय के मन्दिरों में लोगों के हितों की पैरवी करने वाले वकीलों का ही प्रशासन के ऊपर से विश्वास उठ जाए तो सिस्टम पटरी से उतर जाता है। ऎसे में हर जुबान पर यही सवाल आता है कि अब इंसाफ कौन करे ?

हरी की धरा हरियाणा प्रदेश में वर्ष 1989 में अस्तित्व में आए कैथल जिले में ऎसा पहली बार है जब वकीलों को सड़को पर उतरना पड़ा हो।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब भी किसी विषय को लेकर तनाव व् मनमुटाव के हालात पैदा होने की संभावना बनी तो वकीलों ने मिल बैठकर हर मसले का हल किया है।
आम जन, शासन और प्रशासन के बीच तालमेल बनाने में इस शिक्षित वर्ग की भूमिका को सब जानते है। इसके साथ ही जिले के विकास को पंख लगाने में ये सदैव आगे रहे।
जब भी पीएम, सीएम, मंत्रियों, सांसद, विधायक और आला अफसरान का जिले में दौरा हुआ तो बार एसोसिएशन ने वर्ग हितो के साथ साथ समग्र विकास की मांग जनहित के लिए उठाई। लेकिन वर्तमान में जिस तरह से सड़कों पर वकील वर्ग प्रशासन के विरुद्ध लामबंद है उसने सरकार को भी सोचने पर विवश कर दिया।
डीसी व् अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के आवास पर बिजली नियमों की सरेआम उड़ रही धज्जियों का दर्पण वकीलों ने जनता के समक्ष पेश किया।
इस आईने को देख कर हर कोई हैरान है। प्रशासन की इससे बड़ी फजीहत शायद कोई और हो भी नहीं सकती। ये तो वही बात हुई कि दूसरों को नसीहत और खुद मियां फजीहत।
वकीलो का कहना है कि एक तरफ प्रशासन बिजली चोरी रोकने का ढोल पीट रहा है। जबकि स्वयं के आँगन में गड़बड़ी के गुल खिले है। यह आम जन के हितो से खिलवाड़ नही तो और क्या है ?
 ऐसा भी नही की मौजूदा हालातो में यह पहला मामला है बल्कि अनगिनत लोगों अपनी दर्द भरी दास्ताँ अधिकारियो की बेरुखी के कारण लेकर बैठा है।
अंतर सिर्फ इतना है कि वकीलों ने अपनी आवाज को बुंलद किया,जबकि कुछ लोग चुपचाप सब सह जाते है।
यह भी काबिले गौर है की वकीलों ने जिस तरह मुखर होकर अपनी आवाज को उठाया है वह कारवां न्याय की दहलीज पर जाकर रुकेगा या नहीं।"
साभार :- अधिवक्ता विपुल सिंगला कैथल




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